How can we avoid becoming disheartened on failing to give up bad habits – Hindi?

by Chaitanya CharanFebruary 7, 2021

 

Transcriber – Nidhi Agrawal and Amit Agrawal (Noida)

प्रश्न– बुरी आदतों को छोड़ने में असफल होने पर हम हताशा से कैसे बच सकते हैं?

उत्तर– कई बार हम बुरी आदतें छोड़ नहीं पाते तो हताश हो जाते हैं। इससे हमारे अंदर नकारात्मक भाव आ जाता है।
इस नकारात्मक भाव से बचा जा सकता है।

हमारी कमजोरी काम, क्रोध और लोभ नहीं है। हमारी सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि हम विश्वास नहीं कर पाते कि हम चाहें जैसे भी हैं, भगवान श्री कृष्ण हमसे अभी भी बहुत प्रेम करते हैं। भगवान के प्रेम का हमें आभास नहीं हो रहा, क्योंकि हम भौतिकता से बहुत अधिक आसक्त हैं।

जैसे- माता-पिता अपने बच्चों से बहुत प्रेम करते हैं परंतु यदि माता-पिता ने बच्चे को पसंद का खिलौना नहीं दिलवाया तो बच्चे को लगता है कि माता-पिता उस से प्रेम नहीं करते‌। और पसंद का खिलौना दिलवा दिया तो बच्चे को लगता है माता-पिता कितने अच्छे हैं। बच्चा माता-पिता के प्रेम को खिलौने की दृष्टि से देखता है। वैसे ही हम जब भौतिकता में आसक्त होते हैं तो हम भगवान के प्रेम को भी इसी आसक्ति की दृष्टि से ही देखते हैं।आसक्ति की वस्तु मिल गई तो भगवान कितने अच्छे हैं और आसक्ति की वस्तु नहीं मिली तो भगवान कुछ कर ही नहीं रहे!

ऐसे ही हम वैराग्य को भी कभी-कभी इंद्रियों का विषय बना लेते हैं। जब हम वैराग्य का प्रयास करते हैं और वैराग्य हो जाता है तो भक्ति कितनी अच्छी है और वैराग्य नहीं हो रहा है तो भक्ति का क्या महत्व?
हम सब अलग-अलग पूर्व जन्म के संस्कार लेकर आते हैं। किसी के लिए वैराग्य और अनासक्ति प्राप्त करना सरल है और किसी के लिए कठिन। यदि वैराग्य हमारे लिए कठिन है तो इसका अर्थ यह नहीं कि भक्ति काम नहीं कर रही।
हम भौतिकता से आसक्त हों या अनासक्त फिर भी भगवान हमारे हृदय में रहते हैं। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि भगवान से हमारा सम्बंध जुड़ा रहे। इंद्रिय विषयों से संघर्ष में विजय या पराजय जो भी हो, महत्वपूर्ण यह है कि भगवान से संबंध जोड़ने का युद्ध जारी रखें। भगवान से निरंतर प्रार्थना करें कि प्रभु आप करुणामय हो मुझे इन कर्म बंधनों से मुक्त करो।

इस प्रकार भगवान की भक्तिमय सेवा में लगे रहें। इससे हमें शक्ति प्राप्त होगी और हमारा शुद्धिकरण होगा। साथ ही साथ हमारे मस्तिष्क में नकारात्मक विचारों का कोई स्थान नहीं रहेगा।

End of transcription.

About The Author
Chaitanya Charan