Can devotees kill snakes and scorpions?
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Transcribed by: Neelam Kuldeep Mohan Mataji (Muzaffarnagar)
प्रश्न: क्या कोई भक्त साँप और बिच्छू को मार सकता है?
उत्तर: श्रीमद्भागवत के सातवें स्कन्ध के नौवें अध्याय में प्रह्लाद महाराज की प्रार्थनाओं के दौरान इस बात का उल्लेख होता है। वहाँ कहा गया है कि जब हम साँप और बिच्छू को मारते हैं, तो साधू-सन्त प्रसन्न होते हैं। शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि जो व्यक्ति अपने जीवन काल में ईर्ष्यालु रहते हैं, उनको साँप और बिच्छू की योनि में जन्म लेना पड़ता है।
साँप और बिच्छू बिना छेड़े भी डंक मार सकते हैं, इसलिये उन्हें मारने की हमें अनुमति है। लेकिन उन्हें मारने के पहले हमें कुछ बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिये।
सर्वप्रथम – क्या हम इसलिये उनकी जान ले रहे हैं कि वो निम्न योनि के हैं और द्वेष से प्रेरित हैं? यदि हाँ तो हमें स्वयं से भी यह प्रश्न करना चाहिये कि क्या हम स्वयं द्वेषमुक्त हैं?
दूसरी बात – यह एक अनुमति है नकि आदेश। यह अनुमति कोई “लाइसेंस टू किल” नहीं है। ऐसा नहीं कि इस अनुमति का सहारा लेकर कोई भक्त इसे अपने जीवन का उद्देश्य बना ले और संसार के सारे साँप और बिच्छूओं को मारने का बीड़ा उठा ले।
तीसरी बात – इन्हें मारने के पहले हमें इनको भगाने का सर्वश्रेष्ठ प्रयास करना चाहिये, और अन्त में हमारे सभी प्रयासों के बावजूद, यदि हम इसमें सफल न हों फिर हम बेशक इन्हें इस अनुमति का प्रयोग कर मार सकते हैं।
End of transcription.
very nicely explained, especially saving us from artificial sense of superiority.